BHARATIYA GYAN
Wednesday 4 March 2020
सच्चे लोकतन्त्र की कल्पना : क्रान्तिकारियों के पुनर्जनम पर फ़िचर फ़िल्म
सच्चे लोकतन्त्र की कल्पना : क्रान्तिकारियों के पुनर्जनम पर फ़िचर फ़िल्म: क्रान्तिकारियों की संसद आखिर क्यों हमारे देश मे, इक्का-दुक्का ही देशभक्ति फ़िल्मे बनती हैं? जबकी ज्यादातर फ़िल्मे या तो रोमान्टिक ह...
Thursday 1 November 2018
Sunday 31 December 2017
BHARATIYA GYAN: NIROGI RAHNE KE SUTRA..........EK SHRINKHLA......
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Friday 8 December 2017
रोज आये दिन भारत की माताओं बहनो के साथ अपने ही देश के लोगों के द्वारा बलात्कार, छेड़ - छाड़, आपत्ति जनक शब्दों के द्वारा पीड़ा पहुँचाने का कार्य होता रहता है जिसके हम सुनने और देखने के आदि भी हो चुके हैं लेकिन इसमें गंभीर बात ये हो रही है की भारत का मानव समाज इन समस्याओं पर मुर्दों जैसा व्यवहार कर रहा है।
इसके जिम्मेदार भारत देश के हर वे माता पिता हैं जो माता पिता जिम्मेदारिओं के साथ अपने बच्चों की परवरिश में माताओं और बहनों के प्रति मानवीय व्यवहार के संस्कार नहीं देते हैं और ऐसे विषयों पर शिकायत मिलने पर अपने ऐसे बच्चों के सुरक्षा कवच बन जाते हैं।
यदि इस देश की हर माँ अपने बच्चे को बचपन से बड़े होने तक रोज इस बात का एहसास कराती रहे की जब वह अपने माँ बहन के अतिरिक्त किसी को भी स्त्री देखे तो अपनी माँ और बहन का एक बार स्मरण जरूर कर ले और कभी गलती से भी गलती होने पर उसका साथ नहीं देने का एहसास कराती रहे तो दोबारा उस बच्चे की हिम्मत ऐसी गलती दोहराने की नहीं होगी।
इसके जिम्मेदार भारत देश के हर वे माता पिता हैं जो माता पिता जिम्मेदारिओं के साथ अपने बच्चों की परवरिश में माताओं और बहनों के प्रति मानवीय व्यवहार के संस्कार नहीं देते हैं और ऐसे विषयों पर शिकायत मिलने पर अपने ऐसे बच्चों के सुरक्षा कवच बन जाते हैं।
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